पूंजी पर्याप्तता अनुपात

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पूंजी पर्याप्तता अनुपात

4 फ़रवरी 2015 को 04:36 pm बजे0

पूंजी पर्याप्तता अनुपात : किसी भी बैंक या वित्‍तीय संस्‍थान को एक निश्चित राशि हमेशा केंद्रीय बैंक के पास रखनी होती है. यह राशि अग्रिमों की तुलना या अनुपात में होती है और इसे पूंजी पर्याप्‍तता अनुपात, कैश रिजर्व रेशो या सीआरआर कहते हैं. अर्थव्‍यवस्‍था के हालात को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में इसमें बदलाव करता रहता है. अभी सीआरआर जमा पर बैंकों को कोई ब्‍याज देय नहीं है. पूंजी पर्याप्‍तता अनुपात प्रणाली बैंकों को वित्‍तीय संकट से बचाने के लिए है. जैसे अगर सीआआर दस प्रतिशत है तो बैंक को साल में 100 रुपये की आस्ति के लिए 10 रुपये हमेशा रिजर्व बैंक के पास नकदी रूप में रखने होंगे. भारत में पूंजी पर्याप्‍तता मानक 1992-93 में वासले समिति की सिफारिशों के अनुरूप लागू किए गए. फिर नरसिम्‍हन समिति की सिफारिश के अनुसार इस अनुपात को चरणबद्ध रूप से 8 से बढ़ाकर 10 करने का निर्णय किया गया. रिजर्व बैंक बैंकिंग प्रणाली से नकदी सोखने या अतिरिक्‍त नकदी डालने के लिए सीआरआर में बढोतरी या कमी कर सकता है.

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