लोकतंत्र के चार स्‍तंभ

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लोकतंत्र के चार स्‍तंभ

15 फ़रवरी 2015 को 07:44 am बजे0

विधायिका, कार्यपालिका, न्‍यायपालिका को लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्‍तंभ माना जाता है. इसमें चौथे स्‍तंभ के रूप में मीडिया को शामिल किया गया. कहा जाता है कि किसी भी लोकतंत्र की सफलता और सततता के लिए जरूरी है कि उसके ये चारों स्तंभ मजबूत हों। चारों अपना अपना काम पूरी जिम्मेदारी व निष्ठा से करें। यहां विधायिका जहां कानून बनाती है, कार्यपालिका उन्‍हें लागू करती है और न्‍यायपालिका कानूनों की व्‍याख्‍या करती है, उनका उल्‍लंघन करने वालों को सजा देती है. मीडिया यहां जहां समसामयिक विषयों पर लोगों को जागरुक करने तथा उनकी राय बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है वहीं वह अधिकारों/शक्ति के दुरुपयोग को रोकने में भी महत्‍वपूर्ण है. इसलिए कहा जाता है कि किसी देश में स्‍वतंत्र, निष्‍पक्ष मीडिया भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है जितना कि लोकतंत्र के दूसरे स्‍तंभ. किसी लोकतंत्र में प्रेस के लिए ‘लोकतंत्र के चौथे स्‍तंभ’ वाली यह परिभाषा सबसे पहले एडमंड बर्क ने रखी थी. पढ़ें: सब्सिडी की अवधारणा

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